लाइफस्टाइल
इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लाभ – क्या ईवी पैसे बचा सकती है?
परिवहन आज की दुनिया में एक बुनियादी जरूरत है, लेकिन पेट्रोल या डीजल पर चलने वाले पुराने जमाने के इंजन पुराने होते जा रहे हैं। ये वाहन बहुत अधिक प्रदूषण फैलाते हैं और इनकी जगह पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन ले रहे हैं।
आपको ये जान कर हैरानी होगी के आंतरिक दहन इंजन वाली कारों से पहले इलेक्ट्रिक मोटर वाले वाहनों का आविष्कार किया गया था। पहले मॉडल 1830-1840 के आसपास बनाए गए थे, लेकिन वे भारी, अविश्वसनीय थे और केवल बहुत धीमी गति से चल सकते थे।
EV तकनीक अपनी शुरुआत के बाद से तेजी से उन्नत हुई है, और आज बाजार में कई प्लग-इन हाइब्रिड और बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन विकल्प उपलब्ध हैं।
ईवी ऐसे वाहन हैं जो या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से विद्युत शक्ति पर संचालित होते हैं। उनके चलने की लागत कम होती है क्योंकि उनके पास बनाए रखने के लिए कम चलने वाले हिस्से होते हैं और पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं क्योंकि वे बहुत कम या कोई जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करते हैं
ईवी के टेलपाइप से कोई उत्सर्जन नहीं होता है और ये पर्यावरण के लिए बहुत बेहतर हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति अब हो रही है, और आप इसका हिस्सा बन सकते हैं। क्या आपका अगला वाहन इलेक्ट्रिक होगा?
इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लाभ:
ईंधन लागत बचत:
सभी इलेक्ट्रिक वाहन केवल बिजली से चलते हैं। एक इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने की लागत शहर में लगभग 9 रुपये प्रति यूनिट है और एक कार को पूरी तरह से चार्ज करने में 28-30 यूनिट लगेंगे।
फ्यूलिंग फ्लेक्सिबिलिटी:
चार्ज कर सकते हैं: घर, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन और कुछ कार्यस्थल। घर से निकलने से पहले बस अपने वाहन को अपने होम चार्जर पर 4-5 घंटे के लिए प्लग करें। अगर यदि आप किसी कारन चार्जिंग करना भूल जाते हैं? डरिये मत तो आप आसानी से फास्ट चार्जर या बैटरी स्वैपिंग सेवाओं की मदद ले सकते हैं।
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ध्वनि प्रदूषण नहीं:
इलेक्ट्रिक वाहन शांत होते हैं, इसलिए वे ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों में इंजन की आवाज़ नहीं होती है क्योंकि हुड के नीचे कोई इंजन नहीं होता है। कोई इंजन नहीं मतलब कोई शोर नहीं।
चलाने में आसानी:
ईवी में गियर नहीं होते हैं और ड्राइव करने में बहुत आसानी होती हैं। कोई परेशानी नहीं हैं, बस गति बढ़ाएं, ब्रेक लगाएं और चलाये।
विषाक्त उत्सर्जन:
ईवी का विषाक्त उत्सर्जन प्रभाव पेट्रोल और डीज़ल वाहनों की तुलना में बहुत कम है। ईवी में शून्य टेलपाइप उत्सर्जन होता है।
रोड टैक्स:
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने पर रोड टैक्स सहित पंजीकरण शुल्क पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में कम है।
लाइफस्टाइल
डैंड्रफ से छुटकारा पाएं! जानिए इसकी वजह और बचाव के तरीके
डैंड्रफ एक बहुत आम समस्या है, जिसमें सिर की त्वचा ज्यादा सूखकर छोटे-छोटे टुकड़ों में झड़ने लगती है।
इसके कारण बालों और कपड़ों पर सफेद परत दिखने लगती है, जो कभी-कभी शर्मिंदगी का कारण बन सकती है।
डैंड्रफ को सही स्कैल्प और बालों की देखभाल के साथ-साथ मेडिकेटेड शैंपू का इस्तेमाल करके आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
डैंड्रफ क्या है?
हमारी त्वचा नियमित रूप से पुरानी कोशिकाओं को हटाती रहती है। यह आमतौर पर दिखता नहीं क्योंकि यह बहुत कम मात्रा में होता है। लेकिन डैंड्रफ तब होता है जब स्कैल्प (सिर की त्वचा) पर त्वचा कोशिकाएं तेजी से बदलने लगती हैं। मृत त्वचा कोशिकाएं बड़ी संख्या में गिरती हैं और बालों और स्कैल्प के तेल के साथ चिपककर सफेद परत के रूप में दिखने लगती हैं।
डैंड्रफ किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह बच्चों में आम नहीं है। यह मौसम के हिसाब से बदलता है—सर्दियों में अधिक और गर्मियों में कम होता है। डैंड्रफ खतरनाक नहीं है, बाल झड़ने का कारण नहीं बनता और यह किसी को संक्रमित भी नहीं करता।
डैंड्रफ के लक्षण:
- सफेद और तैलीय परतें जो सिर की त्वचा, बालों और कपड़ों पर दिखती हैं।
- खुजली और त्वचा का झड़ना।
- भौंहों, दाढ़ी, गर्दन और कंधों पर भी परतें हो सकती हैं।
डैंड्रफ के कारण:
डैंड्रफ का मुख्य कारण त्वचा कोशिकाओं की तेज़ी से वृद्धि है, जिसका सटीक कारण अब तक ज्ञात नहीं है। माना जाता है कि यह स्कैल्प पर मौजूद एक छोटे फंगस (खमीर) की अत्यधिक वृद्धि से जुड़ा है। यह फंगस सामान्यतः हानिरहित होता है लेकिन कभी-कभी बढ़कर त्वचा को परेशान कर सकता है।
डैंड्रफ को बढ़ावा देने वाले कारण:
- हार्मोनल बदलाव।
- तैलीय बाल और स्कैल्प।
- बालों को कम धोना या गलत उत्पादों का उपयोग।
- तनाव।
- एलर्जी या संवेदनशीलता।
- कुछ बीमारियाँ और कमजोर इम्यून सिस्टम।
डैंड्रफ से बचने के लिए सुझाव:
- बाल नियमित धोएं: तैलीय स्कैल्प होने पर रोज़ाना हल्के शैंपू का उपयोग करें।
- स्कैल्प मॉइस्चराइज करें: ड्राई स्कैल्प के लिए कंडीशनर का उपयोग करें।
- हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स से बचें: ज्यादा तेलीयता और एल्कोहल वाले प्रोडक्ट्स से दूर रहें।
- तनाव कम करें: योग और मेडिटेशन जैसी तकनीकों का अभ्यास करें।
- संतुलित आहार लें: फल, सब्ज़ियाँ और अनाज शामिल करें; तेल, चीनी और नमक वाली चीजों को सीमित करें।
डैंड्रफ या कोई और समस्या?
फ्लेकिंग स्कैल्प हमेशा डैंड्रफ का कारण नहीं होता। यह अन्य त्वचा समस्याओं का संकेत भी हो सकता है, जैसे:
स्थिति | लक्षण |
---|---|
ड्राई स्किन | खुजली और सूखी परतें, जो डैंड्रफ से छोटी और कम तैलीय होती हैं। |
सेबोरिक डर्मेटाइटिस | तैलीय त्वचा पर लाल और सफेद/पीली परतें, स्कैल्प और अन्य तैलीय जगहों पर। |
सोरायसिस | मोटी, सिल्वर रंग की परतें जो स्कैल्प और शरीर के अन्य हिस्सों पर बनती हैं। |
फंगल संक्रमण | स्कैलिंग और बाल झड़ने वाले पैच। |
क्रेडल कैप | नवजात शिशुओं के सिर पर पीली परतें। |
डैंड्रफ का इलाज और रोकथाम:
डैंड्रफ का इलाज विशेष बालों की देखभाल से किया जा सकता है। यह इलाज में कुछ सप्ताह का समय भी ले सकता है।
शैंपू का उपयोग:
- हल्का शैंपू रोज़ाना इस्तेमाल करें।
- एंटी-डैंड्रफ शैंपू का सही तरीके से इस्तेमाल करें।
- जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से पोटेंट एंटी-डैंड्रफ शैंपू की सलाह लें।
खुद की देखभाल:
- व्यायाम के बाद बाल धोएं।
- हेयर जैल और स्प्रे का इस्तेमाल कम करें।
- तनाव से बचें।
- बालों और स्कैल्प की सफाई पर ध्यान दें।
डैंड्रफ एक आम समस्या है, लेकिन सही देखभाल और इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
डैंड्रफ से जुड़े मिथक और सच्चाई:
डैंड्रफ को लेकर कई गलतफहमियां (मिथक) हैं। आइए जानते हैं इन मिथकों की सच्चाई और इसे नियंत्रित करने के सही तरीके।
मिथक 1:
डैंड्रफ तैलीय भोजन से बढ़ता है।
सच्चाई:
तैलीय या जंक फूड खाने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, लेकिन इससे डैंड्रफ या पिंपल्स नहीं बढ़ते। डैंड्रफ आमतौर पर सर्दियों में, तनाव के दौरान, फंगल या बैक्टीरियल संक्रमण, त्वचा की बीमारियों (जैसे सोरायसिस) या कमजोर इम्यून सिस्टम (जैसे HIV संक्रमण) में बढ़ सकता है।
मिथक 2:
डैंड्रफ होने पर बालों में तेल नहीं लगाना चाहिए।
सच्चाई:
सिर को बहुत ज्यादा सूखा रखने और सिर्फ एंटी-डैंड्रफ शैंपू के इस्तेमाल से स्कैल्प में सूजन और तेल ग्रंथियों की ज्यादा सक्रियता हो सकती है, जिससे फ्लेक्स बढ़ जाते हैं। हफ्ते में एक बार तेल लगाना, या डॉक्टर की सलाह के अनुसार तेल और कंडीशनर का इस्तेमाल करना, डैंड्रफ को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
मिथक 3:
डैंड्रफ बाल सफेद (ग्रे) कर देता है।
सच्चाई:
लंबे समय तक अत्यधिक डैंड्रफ रहने से बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है, लेकिन इसका बालों के समय से पहले सफेद होने से कोई संबंध नहीं है।
मिथक 4:
टीनएज में डैंड्रफ चेहरे पर पिंपल्स (मुंहासे) का कारण बनता है।
सच्चाई:
डैंड्रफ और पिंपल्स दोनों तेल ग्रंथियों की गड़बड़ी का परिणाम हो सकते हैं, लेकिन ये एक-दूसरे के कारण नहीं होते। डैंड्रफ सिर की त्वचा पर तेल ग्रंथियों की समस्या से होता है, जबकि पिंपल्स चेहरे की त्वचा पर तेल ग्रंथियों की गड़बड़ी के कारण होते हैं।
मिथक 5:
डैंड्रफ दूसरों में फैल सकता है।
सच्चाई:
डैंड्रफ आमतौर पर एक सूजन की स्थिति है और यह संक्रामक (छूत की बीमारी) नहीं है। हालांकि, कभी-कभी यह एक सामान्य फंगस (पिटीरोस्पोरम) से जुड़ा हो सकता है, जो सभी मनुष्यों की त्वचा पर पाया जाता है।
मिथक 6:
डैंड्रफ खून की अशुद्धि का संकेत है।
सच्चाई:
डैंड्रफ का खून की अशुद्धि या कमी से कोई संबंध नहीं है। यह सिर की त्वचा की एक स्थानीय समस्या है, जो अधिकतर टीनएज में होती है।
डॉक्टर से कब सलाह लें?
- स्कैल्प लाल, दर्दनाक या खून निकल रहा हो।
- बाल झड़ने के पैच दिखें।
- सामान्य एंटी-डैंड्रफ शैंपू से आराम न मिले।
लाइफस्टाइल
शैक्षणिक तनाव से छुटकारा: जानें कैसे रखें खुद को और बच्चों को तनावमुक्त
शैक्षणिक तनाव (Academic Stress) एक मानसिक दबाव है, जो शिक्षा में असफलता या इसकी संभावना के डर से उत्पन्न होता है। यह छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और उनकी पढ़ाई परफॉर्मेंस को कमजोर कर सकता है।
शैक्षणिक तनाव के कारण:
- अकादमिक पाठ्यक्रम: कठिन विषयों और नए पाठ्यक्रमों का दबाव।
- कॉलेज में प्रवेश: अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का तनाव।
- स्कूल बदलना: नई जगह पर समायोजन की मुश्किलें।
- बोर्ड परीक्षाएं: सालाना परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन का दबाव।
- कोचिंग क्लासेस: अतिरिक्त पढ़ाई का बोझ।
- सामाजिक तुलना: माता-पिता और अन्य लोगों द्वारा तुलना का प्रभाव।
- परीक्षा का दबाव: अच्छे अंक लाने का मानसिक तनाव।
- अभिभावकों की उम्मीदें: बच्चों से उच्च प्रदर्शन की अपेक्षाएं।
शैक्षणिक तनाव के प्रभाव:
- घबराहट, चिंता और अवसाद।
- शारीरिक समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप और अनिद्रा।
- पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में रुचि की कमी।
तनाव प्रबंधन के तरीके:
छात्रों और माता-पिता दोनों को तनाव प्रबंधन में योगदान देना चाहिए।
छात्रों के लिए सुझाव:
- यथार्थवादी लक्ष्य बनाएँ: अपनी क्षमताओं के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करें।
- समय प्रबंधन करें: पढ़ाई और आराम के लिए संतुलित समय बनाएं।
- सकारात्मक सोचें: हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें।
- नींद और पोषण का ध्यान रखें: अच्छी नींद और पौष्टिक खाना तनाव को कम करता है।
- व्यायाम और योग: यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
अभिभावकों के लिए सुझाव:
- बच्चों का समर्थन करें: उनके छोटे प्रयासों की भी सराहना करें।
- यथार्थवादी अपेक्षाएं रखें: बच्चों की क्षमताओं को समझें।
- स्वस्थ संवाद बनाएँ: बच्चों के साथ नियमित रूप से बात करें।
- आराम के तरीके सिखाएँ: योग, संगीत और खेलों को बढ़ावा दें।
कोचिंग क्लासेस की भूमिका:
- लाभ: बेहतर मार्गदर्शन और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी।
- नुकसान: उच्च खर्च और अतिरिक्त दबाव।
निष्कर्ष:
शैक्षणिक तनाव का सामना करने के लिए छात्रों और अभिभावकों दोनों को मिलकर प्रयास करना चाहिए। सकारात्मक दृष्टिकोण, समय प्रबंधन और उचित मार्गदर्शन से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
तनाव प्रबंधन उपाय | लाभ |
---|---|
समय प्रबंधन | तनाव कम, बेहतर परफॉर्मेंस |
योग और व्यायाम | शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर |
स्वस्थ संवाद | पारिवारिक संबंध मजबूत |
क्या आप या आपका बच्चा शैक्षणिक तनाव का सामना कर रहे हैं? इसे हल्के में न लें, सही कदम उठाएँ!
लाइफस्टाइल
हॉस्टल में हेल्दी लाइफ जीने के बेहतरीन टिप्स – Hostel Life
तो दोस्तों, तुमने अपने कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स के लिए जो मेहनत की थी, वो रंग लाई है और एक अच्छे कॉलेज में आ गए हो। अब हॉस्टल की जिंदगी शुरू हो गई है। हॉस्टल का गुज़ारा थोड़ा मुश्किल होता है, घर के आराम और सुरक्षा से निकल के एक नई जगह, जहाँ सब कुछ खुद करना पड़ता है।
हॉस्टल में रहना तुम्हें आत्मनिर्भर बनाता है, फैसले लेने में मदद करता है, मुश्किल हालातों का सामना करना सिखाता है। लेकिन, यहाँ की सबसे बड़ी चुनौती है हॉस्टल का खाना। अध्ययनों के अनुसार लड़के और लड़कियाँ हॉस्टल्स में फल, सब्जियाँ, या ज़रूरी पोषण नहीं खाते, क्योंकि मेस में इन्हे ये सब नहीं मिलता।
इसलिए, अपने डेली रूटीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकि तुम हेल्दी रह सको और deficiency, मोटापा, और कम पोषण से बच सको। पढाई करते समय नट्स और रोस्टेड ग्राम्स का सेवन करो। दूसरे स्वस्थ स्नैक्स जैसे सेब, माउस, पीनट बटर भी खा सकते हो।
कोई भी भोजन मत छोड़ो:
जरूरी नहीं के हॉस्टल का खाना हमेशा स्वादिष्ट या पौष्टिक हो, लेकिन तुम्हें अपने डेली न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। दाल, चपाती, चावल, और सब्जियाँ खाओ। सांभर और दाल चुन सकते हो, अगर कुछ सब्जियाँ पसंद नहीं तो उन्हें छोड़ सकते हो, लेकिन जो उपलब्ध है उसे जरूर खाए।
अपने दोस्तों के साथ खाया करो:
हॉस्टल का खाना अपने रूम में ले जाकर मत खाओ। मेस में दोस्तों के साथ खाया करो अपने दोस्तों के साथ मिलके खाने से खाना ज्यादा स्वादिष्ट लगता है और ठंडा भी नहीं होता। दोस्तोंग के साथ बातें करके खाना खाने से आपकी ना पसंदीदा चीज़ पसंदीदा लगने लगती है।
स्वस्थ स्नैक्स हमेशा अपने पास रखो:
भोजन के बीच और देर रात पढ़ाई के दौरान स्वस्थ स्नैक्स खाया करो। कुछ मौसमी फल और सब्ज़िया ले लो जो ऐसे ही खा सकते हो और जिन्हें फ्रिज में रखने की जरूरत ना हो। जैसे एप्पल्स, संतरा, माउस, खीरा, जाम और अंगूर जो आप ऐसे ही खा सकते हो। ककड़ी, गाजर, टमाटर, पपीता, और आम को कट करके खा सकते हो, ये भी बोहत बढ़िया स्नैक्स हैं।
कैल्शियम और प्रोटीन लो:
कोई सुपर मार्किट से टेट्रा पैक्स ऑफ मिल्क, दही, बटरमिल्क या सोयामिल्क ले लो। ये एक बार में पीने पैक्स में मिलते हैं, इसलिए जल्दी पीलिया करो। रोज काम से काम 500ml दूध या उसके प्रोडक्ट्स लो।
स्वस्त और पौष्टिक खाना बनाना सीखो:
छुट्टी के दिन बाहर जाकर खाना मत खाओ, अपने दोस्तों के साथ कुछ अच्छी और स्वादिष्ट चीज़ बनाओ। बहार का खाना काम खाया करो वो ज़्यादह तर अस्वास्थ्यकर भोजन होता है। महीने में एक या दो बार खा सकते हो कभी कभी बहार खाने में कोई दिकत नहीं।
तो दोस्तों, हॉस्टल में भी स्वस्त रह सकते हो अगर थोड़ी कोशिश करे तो। अगर आपको ये लेख पसंद आया है तो अपने हॉस्टल के दोस्तों के साथ शेयर करो और अपने एक्सपीरियंस और टिप्स हमारे साथ शेयर करो! धन्यवाद्!
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